होमियोपैथी का साधारण शब्दों में वर्णन करेंगे तो यह कहा जा सकता है की यह एक अद्भुत पद्धत्ति है ! आपने अपने आस पास अक्सर देखा व सुना होगा की एक व्यक्ति का असाध्य रोग जिससे वह वर्षों से ग्रसित था और साथ ही ईलाज भी करा रहा था परन्तु ठीक नहीं हो पाया लेकिन जब उसने होम्योपैथिक इलाज शुरू किया, उसके रोग में असाधारण तरीके से सुधार होने लगा और कुछ ही समय में पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया ! इस इलाज में सबसे पहले रोग के कारणों का पता लगाया जाता है और उसके उपरांत सभी लक्षणों का अध्यन करते हुए रोगी की सही औषधि का चयन किया जाता है !
होम्योपैथिक औषधियां सभी प्रकार के रोगों में पूर्ण रूप से लाभ करती हैं ! वर्ण वह स्त्री हो पुरुष हो बालक हो अथवा नवजात शिशु हो और किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं करतीं !
रोग प्रतिरोधक शक्ति :-
व्यक्ति के रोग को दूर करने के साथ ही होम्योपैथिक औषधियां उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बभी बढ़ाती है जिससे रोगी को अधिक स्वस्थ लाभ मिलता है !
होमियोपैथी बहुत देर से असर करती है :-
यह एक एसा मिथक है जो व्यक्ति को भ्रमित करता है ! सेधान्तिक रूप से होमियोपैथी किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति से तीव्र काम करती है इसका उदाहरण आप स्वयं इसका इस्तेमाल करके देख सकते हैं !
लक्षणों के आधार पर उपचार :-
होम्योपैथिक पद्धति में रोगी का उपचार उसमे मौजूद लक्षणों के आधार पर किया जाता है ! छोटे से छोटे और मामूली से मामूली लक्षणों का महत्वपूर्ण स्थान है ! जिस प्रकार एक हरा भरा वृक्ष धुप न मिलने से पूर्ण रूप से मुरझा जाता है, उसी प्रकार रोग का असर रोगी के पूरे शरीर पर होता है !
लक्षण :-
अधिक प्यास लगना, मीठा खाने की तीव्र इच्छा, बंद कमरे में जाने पर रोग की तीव्रता का अचानक बढ़ जाना, वाहन में सफ़र करने पर रोग की तीव्रता बढ़ जाना अथवा आराम मिलना, पूर्णिमा की रात को रोग का तीव्र हो जाना !
ये कुछ ऐसे लक्षण हैं जिनका होमियोपैथी में महत्वपूर्ण स्थान है ! रोगी अगर अपने इन लक्षणों को भली भांति पहचान जाये तो यह उसके जल्दी स्वस्थ होने में लाभ करते हैं !
रोगी का अपने चिकित्सक के साथ सम्बन्ध ही उसके स्वास्थ की कुंजी है !
रोगों के प्रकार :-
मुख्यत: रोग दो प्रकार के होते हैं तीक्षण तथा स्थाई ! होमियोपैथी इन दोनों ही प्रकार के रोगों में पूर्ण लाभकारी है !
तीक्ष्ण वह रोग होते हैं जो अचानक प्रकट होते हैं जैसे मिचली आना, सिर में अचानक चक्कर आ जाना, दस्त, तीव्र ज्वर आदि इसमें रोगी को रोग का अचानक से अनुभव होता है और कठिनाई बढ़ जाती है ! ऐसे में Aconite, Belladonna, Bryonia आदि का उपयोग लक्षणों के आधार पर किया जा सकता है जिससे रोगी को लाभ मिलता है और वह तुरंत ही आराम महसूस करता है !
स्थाई रोग वह होते हैं जिनसे रोगी बहुत लम्बे समय से ग्रसित है ! 6 माह 1 वर्ष और इससे अधिक !
घुटनों का दर्द :-
पुराने जटिल रोगों में घुटनों का दर्द अधिक संख्या में लोगों में पाया जाता है ! इसकी शुरुआत बहुत धीरे – धीरे होती है ! घुटनों में सूजन, हड्डी का घिस जाना, जोड़ में क्षय हो जाना इसके प्रमुख कारण हैं ! साथ ही शरीर में अत्यधिक अम्ल का बनना भी एक प्रमुख कारण है ! लक्षणों के आधार पर घुटनों के दर्द का पूर्ण रूप से उपचार किया जा सकता है ! जैसे अंधी तूफ़ान या बारिश का मौसम बनने पर लक्षणों में अगर उभार आ रहा है तो Rhus Tox, Rhoodendron, या Bryonia का इस्तेमाल करने से लाभ मिलता है !
इसी प्रकार अगर रोग की तीव्रता गर्मी बढ़ने से अधिक होती है तो Ledum, Ruta, या Bellis Per का उपयोग करने से लाभ मिलेगा !